इतेश धीमान ✍️
लक्सर। नगर पालिका परिषद के चुनाव में इस बार मुकाबला जितना दिलचस्प है, उतना ही सस्पेंस से भरा भी। भाजपा के देवेंद्र चौधरी, बसपा के संजीव कुमार ‘नीटू’ और कांग्रेस के जगदेव सिंह ‘जग्गी’ के अलावा तीन निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। इन उम्मीदवारों ने अपनी अपनी रणनीति के चलते नगर के लोगों का समर्थन जुटाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है के खानपुर के चर्चित विधायक उमेश कुमार आखिर किस प्रत्याशी का समर्थन करेंगे?
रुड़की में निर्दलीय समर्थन, लक्सर में चुप्पी क्यों?
रुड़की नगर निगम और रामपुर नगर पंचायत में निर्दलीय उम्मीदवारो को खुला समर्थन देकर वहां की राजनीति में हलचल मचाने वाले उमेश कुमार लक्सर में अभी तक चुप क्यों हैं? क्या यह चुप्पी किसी गहरी रणनीति का हिस्सा है, या वे किसी बड़े दांव की तैयारी में हैं ? उनके समर्थक और विरोधी दोनों ही इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटे हैं। उमेश कुमार की खामोशी से लक्सर के चुनावी समीकरण अभी उलझे हुए हैं।
कांग्रेस, भाजपा और बसपा या किसी निर्दलीय के बीच उनकी पसंद को लेकर कयासबाजी तेज होती जा रही है।
क्या उमेश कुमार लक्सर में खामोश रहकर खेल रहे हैं लंबा दांव?
सियासी गलियारों में चर्चा है कि उमेश कुमार अपनी धर्मपत्नी सोनिया शर्मा को आगामी विधानसभा चुनाव में लक्सर सीट से मैदान में उतार सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो मौजूदा नगर निकाय चुनाव उनके लिए सिर्फ एक झलक भर है। यह खामोशी उनके समर्थकों को एक संदेश भी दे सकती है कि वह अभी से अपने अगले कदम की तैयारी करें। अगर ऐसा होता है, तो यह निकाय चुनाव उनके लिए केवल भविष्य की तैयारी का एक हिस्सा हो सकता है। उनकी मौजूदा खामोशी, समर्थकों के लिए इशारा हो सकती है कि असली लड़ाई तो आने वाले विधानसभा चुनावों में होगी।
अंदरूनी समर्थन का खेल या राजनीतिक दूरी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उमेश कुमार खुलकर किसी प्रत्याशी का समर्थन करने के बजाय, अंदरूनी तौर पर अपने समर्थकों को संकेत दे सकते हैं। इससे वह खुद को राजनीतिक रूप से सुरक्षित रखते हुए अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखेंगे। यह कदम उनके भविष्य के राजनीतिक एजेंडे को मजबूत कर सकता है।